गौशाला का अनोखा प्रयास , मध्यप्रदेश का एक मात्र मंदिर
गौशाला में आप सभी गौभक्तों का स्वागत है जो भी गौभक्त गायों की सेवा सच्चे मन से करता है उसे इस धरती पर स्वर्ग की अनुभूति होती है क्यूंकि स्वयं भगवान् श्री कृष्ण ने गोकुल में रहते हुए गायों की सेवा पूर्ण समर्पित होकर की है जिससे उनका नाम गोविन्द और गोपाल भी है।
इस मंदिर में सात जीवंत गायों का पूजन एवं हवन किया जाता है। गायों के मुख एवं पृष्ठ भाग ( पूंछ ) की पूजा विधि विधान से की जाती है एवं विद्वान आचार्य द्वारा उसके बारे में बताया जाता है।
सात ग्यावन गायों की विधि विधान से आचार्य जी द्वारा पूजा करवाई जाती है। माताओं बहनों पूजन से संतान प्राप्ति का फल प्राप्त होता है। माताओं बहनों में गर्भ ठहरने के पश्चात् सप्त गौमाता की विधि विधान से पूजा एवं स्पर्श करने से डिलेवरी होने के चांसेस बनते है।
इस सप्त गौमाता मंदिर में गौदान की पूजा एवं उत्सव धूम धाम से प्रशन्नता पूर्वक सकारात्मक ऊर्जा के साथ मनाया जाता है।
इस मंदिर में सप्त गौमाताओं की उपस्थिति जन्मदिवस , वैवाहिक वर्षगांठ , नन्द उत्सव एवं अन्य विशिष्ट वैवाहिक प्रसंग तिथियों पर विधि विधान से गोपूजन किया जाता है , गौपूजा की अनुभूति स्वर्गानन्द की भांति है।
गौ स्पर्श चिकित्सा गौमाता को विभिन्न वैज्ञानिक तरीकों से स्पर्श करने पर विभिन्न बिमारियों / व्याधियों को दूर रखा जा सकता है। इस पर सम्पूर्ण जानकारी शीघ्र ही भविष्य में ( अपडेट ) उत्परिवर्तित की जाएगी।
इस तरह हमें बताते हुए एक बार गौशाला पधारकर गौपूजन अवश्य करें। पूजन सामग्री एवं विद्वान आचार्य की उपलब्धता गौशाला प्रबंधन द्वारा है।